निश्चिंत जीवन (हिंदी)
" निश्चिंत जीवन " - आज समाज का हर व्यक्ति चाहे वह अमीर हो या गरीब, रोजगारवाला हो या बेरोजगार, मालिक हो या नौकर, शिक्षक हो या विद्यार्थी - सभी किसी-न-किसी प्रकार के तनाव से, चिंता से ग्रस्त पाये जाते हैं । तनाव-चिंता को हटाने के लिए लोग कई
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सहज साधना (हिंदी)
" सहज साधना " - साधना की रीति गुरुआज्ञा-पालन में निहित है और साधना का मर्म गुरुकृपा में है । ईश्वर की कृपा जिन पर होती है उन्हें ही सद्गुरु मिलते हैं और जिन्हें सद्गुरु मिल जायें उन्हें साधना करनी नहीं पड़ती, उनकी साधना गुरुआज्ञा पालने व गुरुवचनों का
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जीते-जी मुक्ति (हिंदी)
" जीते जी मुक्ति " - भारतीय दर्शन जीते जी मुक्ति दिलाता है । जीते जी मुक्ति दिलाने की कुंजियाँ संतों के पास होती हैं । दुनिया के लोग कुछ भी देकर माया में ही फँसाते हैं लेकिन संत लोग वह दे देते हैं जो चौरासी लाख जन्मों के पाप-ताप मिटा के जीव को जीते जी मुक्ति का अनुभव करा देता है ।
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अनन्य योग (हिंदी)
"अनन्य योग" - श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा बताये गये अनन्य योग को पूज्य संत श्री आशारामजी बापू ने अपने सत्संगों में सरल व बड़े ही रसमय तरीके से बताया है । पूज्य बापूजी की जीवनोद्धारक अमृतवाणी का संकलन है यह ‘अनन्य योग’ सत्साहित्य ।
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समता साम्राज्य (हिंदी)
" समता साम्राज्य " - समता एक दैवी गुण, एक बड़ी साधना है, जिसके विषय में भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में कहा है : ‘...समत्वं योग उच्यते ।’ अर्थात् समत्वभाव ही योग है । जिसने अपने जीवन में समता का गुण विकसित कर लिया वह हर क्षेत्र में सफल हो जायेगा ।
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मुक्ति का सहज मार्ग (हिंदी)
" मुक्ति का सहज मार्ग " - कोई भी मानव बंधन नहीं, मुक्तता को चाहता है पर न चाहते हुए भी उसे पारिवारिक, सामाजिक, धार्मिक... कोई-न-कोई बंधन जकड़ ही लेता है । मानव कर्म किये बिना नहीं रह सकता है, कर्म ही बंधन और मुक्ति का कारण है ।
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साधना में सफलता (हिंदी)
" साधना में सफलता " साधना के पथ पर करोड़ों लोग चलते हैं लेकिन पथ का सही पता नहीं होने व मार्गदर्शक के अभाव के कारण सभी मंजिल तक नहीं पहुँच पाते हैं । जो इन मंजिलों की यात्रा किये हुए हैं उनका मार्गदर्शन मिल जाय तो मंजिल तय करना आसान हो जाता है ।
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आत्मयोग (हिंदी)
"आत्मयोग" - ‘आत्मयोग’ पुस्तक में भक्ति, योग और ज्ञानमार्ग के पवित्र आत्माओं के लिए सहज में अंतस्तल से स्फुरित महापुरुषों की वाणी निहित है, जिसमें गीता, भागवत, रामायण आदि के प्रमाणसहित उन सत्पुरुषों के अनुभव छलकते हैं ।
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परम तप (हिंदी)
"परम तप" - हर क्षेत्र में सफलता की शर्त एकाग्रता है । विद्यार्थी जीवन हो, खिलाड़ी जीवन हो, व्यवसायिक जीवन हो या नौकरी-धंधे का क्षेत्र हो, व्यवहार हो चाहे परमार्थ हो... जितने प्रमाण में एकाग्रता होगी उतनी सफलता मिलेगी । बड़े-बड़े कार्यों में सफल हुए
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आत्मगुंजन (हिंदी)
" आत्मगुंजन " -राग-द्वेष, स्वार्थ, भेदबुद्धि, अहंकार आदि इस प्रकार के अन्य जिन-जिन कारणों से मनुष्य बंधन में पड़कर चौरासी के चक्कर में भटकता है उनसे बचकर कैसे मुक्तात्मा हो सकता है, उन सभी बातों व गीता, भागवत, पुराण, उपनिषदों का सार काव्यशैली में ‘आत्मगुंजन’ पुस्तक के रूप में प्रस्तुत किया गया है । जैसे -
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