गोवध = विनाश को आमंत्रण
गाय कदापि वध के योग्य नहीं है । वेद भगवान की आज्ञा है :
मा गामनागामदितिं वधिष्ट ।
‘गौओं को न मारें । (ऋग्वेद : मंडल ८, सूक्त १०१, मंत्र १५)
पूजनीय भारतीय गायों का वध किया जाय तो उसके बहुत भयंकर दुष्परिणाम होते हैं ।
दिल्ली विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने शोध कर यह घोषित किया कि ‘गाय-बैल आदि के कत्ल से भूकम्प का सर्जन होता है । उन्होंने यह बात रशिया के पुशिना शहर में १९९४ में हुई खगोल-भौतिक विज्ञान की अंतर्राष्ट्रीय परिषद में प्रस्थापित की थी, जिसको दुनिया के अधिकांश वैज्ञानिकों ने मान्य किया था । केवल भूकम्प ही नहीं, अनेक प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं जैसे - अतिवृष्टि, अनावृष्टि, चक्रवात, सुनामी, महामारी आदि के लिए गोवध सबसे ज्यादा जिम्मेदार कारण है ।
इस बात का किसीको विश्वास न हो तो केरल में आयी बाढ को देख सकते हैं । सन् २०१७ में केरल में बीच सडक पर निर्दयी गोमांसभक्षियों द्वारा गाय के बछडों का कत्लेआम किया गया था । प्रशासन तो देखता रहा, मीडिया दिखाता रहा परंतु प्रकृति को सहन नहीं हुआ । प्रकृति ने ठीक अगले साल यानी २०१८ में भयानक बाढ के रूप में तांडव किया ।
गोमांस खाने से ‘मैड काऊ डिसीज जैसी महाव्याधियाँ होती हैं । गोमांस-भक्षण से मस्तिष्क एवं चेतातंत्र में कम्पन पैदा होते हैं, परिणामस्वरूप अनेक मानसिक रोग एवं विकृतियाँ पैदा होती हैं ।
हजरत मोहम्मद साहब बताते हैं कि ‘‘गाय का दूध और घी तंदुरुस्ती बढाने का बडा जरिया है । गोमांस-भक्षण में बीमारी है, गाय का गोश्त नुकसानदेह है ।