दिव्य जीवन या तुच्छ जीवन- Sant Shri Asaram Bapu ji (आसाराम बापू जी )
दिव्य जीवन या तुच्छ जीवन
P.P.Sant Shri Asharamji Bapu –satsang –Badarpur Delhi- 24th June 2013 – Part-I
हरि ॐ , हरि ॐ, ॐ , ॐ , ॐ , .......
दुनियादारी के कर्म करते-करते परमात्मा के धन से ही कंगाल हो जाते हैं और मूर्खो को तो पता ही नही होता है | गुरु दीक्षा से ये सारी अटकले और युक्तियाँ मिलती हैं | धीरे-धीरे मैं परमात्मा में शयन कर रहा हूँ | परमात्मा मेरे हैं | परमात्मा सत रूप हैं, शरीर असत है | शरीर पहले नही था, बाद में नही रहेगा लेकिन आत्मा पहले था, अभी है, मरने के बाद भी मेरे साथ रहेगा | दुःख के पहले भी आत्मा है, दुःख के बाद भी है | दुःख को जानने वाला भी मेरा आत्मा-परमात्मा नित्य है | दुःख की ऐसी-तैसी | सुख की भी ऐसी-तैसी | प्रभु तेरी जय हो | ऐसे करते-करते सदभाव से आनंद भी आएगा और हिम्मत भी बढ़ेगी | और नींद आई, कुछ ही दिनों में आप भगवान की गोद में पहुँच जाओगे | सुबह उठो तो भगवान से स्फुरित हुआ है मेरा मन | मैं भगवान से उठा हूँ फिर बुद्धि में आया, फिर मन में आया, फिर इन्द्रियों में फिर उठा | भगवान से ही उठोगे, थोड़ी देर भगवान में ही बैठ जाना | प्रभु आप ही से उठा हूँ | आप ही मेरी स्तबुद्धि की दिशा को सुव्यवस्थित करना प्रभुजी | ॐ प्रभु, ॐ आनंद ऐसा भगवान के साथ अपना जो असली सबंध है उसका सुमिरन, तो भगवान बोलते हैं तस्याहं सुलभ पार्थः नित्य युक्तस्य योगिना || नित्य ऐसा अभ्यास करता है और नित्य भगवान के सुमिरन, ज्ञान, ध्यान में रहता है, उसके लिए भगवान बोलते हैं मैं सुलभ हो जाता हूँ | तस्याहं सुलभ पार्थः नित्य युक्तस्य योगिना || ईश्वरो सर्व भूतानाम हृद्यसे अर्जुन तिष्ठते ||
मैं सबके हृदय में हूँ | जो मुझको हृदय में नही जानते उनके लिए बाहर मंदिर की व्यवस्था है | लेकिन मंदिर के भगवान को देखने में मुझ हृदय भगवान की ही जरूरत होती है | हृदय भगवान नही होगा तो मंदिर के भगवान को कौन देखेगा ? वैकुण्ठ के भगवान को कौन जानेगा ? हृदय भगवान प्रभु, उसके साथ प्रीति करके बिस्तर से उठे | थोड़ी कसरत कर लें | दोनों हाथ सीधे करके उपर खींचो |
आँवला रस :
त्रिदोष शामक और दीर्घ आयु देता है | आरोग्य, उत्तम वर्ण और बल का तो खजाना है | ओज और शक्ति प्रदान करने में एक नम्बर | इसके सेवन से शीघ्र ही शक्ति, स्फूर्ति और शीतलता का संचार होता है | ये रस, रक्त, वीर्य की वृद्धि करके शरीर को पुष्ट करता है | इसके सेवन से नेत्र ज्योति बढती है | वर्ण में निखार आता है | बालों की जड़े मजबूत होके बाल गिरना बंद हो जाते हैं | जिनके बाल गिरे हों वो सिर पे आँवला रस लगावे | और १-२ घंटे के बाद स्नान करें | और आंवले का रस पियें | और सिर पर नए बाल लाने वाला तेल लगाये | तो टाल वाले को बाल आने लगते हैं |
होमियो-तुलसी :
होमियो तुलसी का पेम्पलेट पढोगे तो हैरानी होगी कि बच्चो की तो बीमारियाँ मिटती हैं, बडो को भी लाभ होता है | बच्चो को तो १-१ गोली लेनी है, बडो तो कभी १ कभी २ | तो मोटापा भी कंट्रोल होता है और जो कमजोर है, उनका शरीर सुडोल होता है |
आप किसके लिए बैठे हो कहाँ बैठे हो भगवान जानते हैं | आपकी नौकरी चालू है | ऑफिस में ठेकेदार के पास मन लगे चाहे ना लगे, तनखाह चालू होती है | ऐसे ही आपकी तनखाह तो चालू है लेकिन मन लगोगे तो और प्रमोशन हो जायेगा | सेठ तो कंजूस होता है और सरकार को देखने की द्र्काह नही होती | ये सेठो का सेठ, सरकारों का सरकार, हर पल आपकी हरकतों और चेष्टाओं को जानता है | तो आप जप करते जाओ अथवा प्रीति करते जाओ | अथवा बैठो, महाराज हम तो कुछ नही करेंगे | हम तो आपके यहाँ हाजरी लगाके बैठे हैं | ऐसे ही थोड़ी मजाक कर लें | जैसे बच्चा माँ-बाप से मस्ती और मजाक कर लेता है, तो भी माँ-बाप छलकते हैं | वो भी माँ-बाप ऐसे ही हैं |
जब गुरु के द्वारा मंत्र मिलता है तो जैसे पावर हॉउस से बिजली की लाइन मिली, केबल मिला, गुरु द्वारा मंत्र मिला वो मंत्र चेतन मंत्र होता है |
भगवान शिवजी ने पार्वती को वामदेव गुरु के द्वारा मंत्र दीक्षा दिलाई थी | और कलकत्ते की काली माता ने प्रकट होकर गदाधर पुजारी को तोतापुरी से मंत्र और उपदेश लेने का आदेश दिया | वो ही गदाधर पुजारी, जो राम का आत्मा है, वो ही मेरा आत्मा है, जो कृष्ण का आत्मा है वो मेरा ही आत्मा है | ऐसा साक्षत्कार हुआ तो गदाधर पुजारी का नाम रखा गुरु ने राम कृष्ण परमहंस | नामदेवजी को भगवान विठ्ठल प्रकट होकर कहते हैं, की शिवोभा पूरी खेचर से दीक्षा लो | और प्रचेताओं को भगवान नारायण के दर्शन हुए भगवान शिवजी के दर्शन हुए और भगवान नारायण ने कहा कि तुम जाओ देवऋषि नारदजी का सत्संग सुनकर जिससे मैं भगवान नारायण हूँ और भगवान शिव हैं, वही तुम्हारा आत्मा-परमात्मा का साक्षत्कार करो | भगवान के दर्शन के बाद भी गुरु दीक्षा लेना ये शास्त्र समत बात है | वे लोग धन भागी हैं जो लोग दीक्षा लेने में सफल हो रहे हैं | भगवान शिवजी कहते हैं, धन्या माता-पिता धन्यो, गोत्रम धन्यं कुलोत भव, ध्न्या च वसुधा देवी यत्र स्यात गुरु भक्त्त || पार्वती उनकी माता धन्य है, उनके पिता धन्य हैं, उनका कुल और गोत्र धन्य हैं जिनके हृदय में गुरु भक्ति है, गुरु ज्ञान है | शिवजी कहते हैं गुरु मंत्रो मुखे यस्य, तस्य सिद्धि ना अन्यथा, गुरु लाभात सर्व लाभों, गुरु हिन्स्तु बालिषा || पार्वती जिनके मुख में गुरु मंत्र है, उनको आदि दैविक, आदि भौतिक, अध्यात्मिक सर्व लाभ होते हैं | जिनको गुरु दीक्षा मिलती है और गुरु दीक्षा का मंत्र माला पर जप करते हैं, और वो माला गले में धारण करके जो भी सत कर्म करते हैं उसका फल हज़ार गुणा हो जाता है | गुरु मंत्र लिए हुए की दुर्गति नही होती | और गुरु मंत्र लिए हुए को ३३ प्रकार के मांत्रिक फायदे - अध्यात्मिक फायदे और १८ प्रकार के मानसिक वायब्रेशन के फायदे ५१ फायदे होते हैं और संसारी फायदों की लम्बी कतार होती है |
इस मंत्र विज्ञानं की बड़ी भरी महिमा है | कुछ तिथियाँ ऐसी हैं जब जप करो तो आपको १०,००० गुना फल होगा | जैसे सोमवती अमावस्या, रविवार की सप्तमी, बुधवार की अष्टमी, मंगल की चतुर्थी, सूर्य ग्रहण, चन्द्र ग्रहण | तुमने तो माला किया कभी मंत्र जपे ६,२००, लेकिन कभी १०,००० हुआ कभी लाख गुना हुआ, कभी १००० गुना फल हुआ | तो १ करोड जप हो गया तो तुमको कैसे पता चले ?
१ करोड होते ही तुम्हारी जन्म-कुंडली का पहला स्थान तम स्थान, शुद्ध हो जायेगा, रूपांतरित हो जायेगा | तामसी विचार, तामसी विद्या शांत हो जायेगी | सत्वगुण की वृद्धि होगी और सपने में भगवान, गुरु या देवता के दर्शन होने लगे तो समझ लेना १ करोड़ जप हो गया है | चाहे तुमने ६००० किये | कैसी व्यवस्था है भगवान की |
अगर २ गुना जप हो गया तो आपकी जन्म कुंडली का दूसरा घर जिसको धन स्थान बोलते हैं, वो शुद्ध हो जाता है | कुटुंब में धन की प्राप्ति ऐसे होती है जैसे पुरुष को पुरुष की छाया की प्राप्ति | पुरुष कहीं भी जाये तो छाया उसके पीछे-पीछे, ऐसे ही दुगना जप हो गया तो रोजी-रोटी कहीं भी आप जाओ अपने आप सब सेट हो जायेगा | हम सब कुछ फेंक के कहीं रह जाते थे तभी भी खिलाने वाली भगवान की लीलायें होने लगती थी |
अगर ३ गुना जप हो जाये, तो आपकी जन्म कुंडली का तीसरा घर है सहेज स्थान वो शुद्ध होता है | असाध्य कार्य आपके द्वारा सधने लगेंगे और सभी लोग स्नेह करने लगेंगे | आप प्रभावशाली बन जायेंगे | ये मंत्र इतना आपको ऊँचा उठा देगा |
अगर ४ गुना जप हो जाता है तो जन्म कुंडली का चौथा घर जिसको शास्त्रों में सुख स्थान कहा है, वो शुद्ध होगा, रूपांतरित होगा, तो शरीर और मन के आघात आपके उपर जोर नही मार सकेंगे | कईयों को मन का दुःख होता है, कईयों पे शरीर की पीड़ा का प्रभाव होता है | लेकिन ये जप बढ़ने से परिस्थितियाँ तो आएँगी लेकिन आपको चोट नही लगेगी | आप और बलवान हो जायेंगे |
अगर ५ गुना जप हो जाता है, आपका जन्म-कुंडली का पाँचवां घर, पुत्र स्थान और विद्या स्थान शुद्ध हो जाता है | अपुत्रवान को आप पुत्र दे सकतें हैं | और सिगरेट बाज से सत्संग करवा सकते हैं | सारस्वत्य और गुरु मंत्र की शक्ति बड़ा गजब का फायदा करती है |
अगर ६ गुना जप हो जाता है, तो आपका जन्म-कुंडली का छटा घर शत्रु स्थान की शुद्धि हो जाती है | शत्रु और रोग आपको प्रभावित नही करेंगे | कोई आप पर आरोप करे, आपके लिए बिलकुल सुव्यवस्थित प्रूफ देवे ऐसा है, ऐसा है फिर भी अगर जप है और सच्चाई है, तो आपका बल बढ़ जायेगा | अगर गलती है तो सुधार लो | नही है तो खुशी मनाओ के भगवान हमे उपर उठाना चाहते हैं | बुद्ध, कृष्ण, राम, कबीर सभी पर आरोप लगे और हमारे पर तो दुनिया जानती है | कितने-कितने झूठे आरोप जिन्हें साबित नही कर सके और मुँह की कहानी पड़ी |
सतारा जिले में साधको ने मंत्र जप के प्रभाव से बरसात कर दी |
अगर ७ गुना जप हो जाता है तो जन्म-कुंडली का सातवाँ घर जिसको बोलते हैं स्त्री स्थान शुद्ध हो जाता है | शादी-विवाह नही होती होगी तो उनका शादी-विवाह और दंपति सुख |
अगर ८ गुना जप हो जाता है तो जन्म-कुंडली का आठवाँ घर जिसको मृत्यु स्थान लिखा हुआ है, वो शुद्ध होकर अकाल मृत्यु टल जाती है | हेलिकॉप्टर गिरा पब्लिक के बीच परखचे उड़ गए | पुर्जा-पुर्जा आगे पूरा अगल हो गया लेकिन हमारा पुर्जा-पुर्जा अप-टू-डेट | और परखचे उड़े किसीको लगे नही | सारी दुनिया के लोग दंग रह गए | १० मिनट में एक हादसा और एक चमत्कार | जो करोडों रुपय लेकर निंदा कर रहे थे उन्ही को फिर सरहाना करनी पड़ी |
अगर ९ गुना जप हो जाता है तो आपकी जन्म-कुंडली का धर्म स्थान रूपांतरित हो जाता है | जिस भगवान का जप करते हो उस भगवान का दर्शन हो जायेगा | चाहे श्री कृष्ण हो, राम, हो, गणपति हो, शिव हो, या जो भी तुम्हारा देवी-देवता हो | तो आपके मन चाहे भगवान के भी दर्शन हो सकते हैं, अथवा सारे भगवान जिनसे प्रकट होकर लीन हो जाते हैं, ऐसे आत्म-परमात्मा का साक्षत्कार करना चाहो तो गुरु का सत्संग आपको ठीक से आगे ले जायेगा | साक्षात्कार हो जायेगा |
तो गुरु मंत्र की साधना को साधारण मत समझना, लगे रहना | शिवजी ने कहा है गुरु मंत्रो मुखे यस्य तस्य सिद्धि ना अन्यथा | गुरु लाभात सर्व लाभे गुरु हिन्स्थु बालिषा | गुरु के लाभ से सब लाभ होता है और गुरु बिना बालिषा मतलब व्यर्थ होता है |
किसी के घर में मृत्यु हो जाये तो उसके घर वालो को मंगलमय जीवन-मृत्यु पढा दो | तुलसी की लकड़ी उसके गले मस्तक पर रख दो बड़ी सेवा होगी |
श्वास लेकर जप करो फिर छोडो........ प्रणव मंत्र का विनियोग सहित जप कंठ से | ॐ........कीर्तन |
दोपहर को ११ से १ के बीच हृदय रोग भगाने वाला मंत्र जपना चाहिए | और मंत्र है ॐ, गुरु ॐ .........|
कैंसर के लिए १५ ग्राम तुलसी अर्क और ५० ग्राम दही दोपहर और शाम को लें | और सुबह एक कुल्ले जितना जितना अर्क उतना पानी १०ग्रम अर्क १० ग्राम पानी २० ग्राम मुंह में कुल्ला घुमा-घुमा के निगल जाएँ |
जिसको डायबिटीज हो १ किलो करेले लेकर पैरों से १ घंटे तक कुचले मुँह कड़वा हो जायेगा | १० दिन तक करें |
दमे की बीमारी एक बूटी है जिससे १ महीने में दमा मिट जाता है |
किडनी की तकलीफ के लिए साटा का रस पिए किडनी ठीक हो जायेगी अथवा साटा के रस से बनी हुई पुर्नवा गोलियाँ लें |
कभी थोड़ी देर ऐसी ही बैठा करो भगवान के सामने और देखा करो और उच्चारण करो ॐ (दीर्घ) |
जिसको सफलता नही मिलती, दर-दर की ठोकरे खाने की आवश्यकता नही सुबह ४ से ५ के बिच प्राणायाम करके गुंजन करें अथवा ६, ७ बजे १० मिनट ये गुंजन करो |
ॐ कार जप और राम नाम का जप व्यक्ति के भाग्य की रेखएँ बदल देता है |
ॐ कार मंत्र की महिमा के तो २२,००० श्लोक हैं | और ये ॐ कार मंत्र पेट, लीवर, दिमाग की कमजोरी को ठीक कर देगा | १२० माला जप करें ५० दिन तो ७ जन्म की कंगालियत घर में से भाग जायेगी | अब ७ पीढियाँ धन-धान्य से, लक्ष्मी से सम्पन रहें, ॐ कार मंत्र की ऐसी भरी महिमा है |
गुरु गीता का पाठ करके पानी में देखें और घर में छांटे सुख-शांति आएगी |
किसी के घर में झगड़े होते हो तो खड़ा नमक मिलता है उसका पोचा हफ्ते में १-२ बार कर लें |
निंदा करने से बहुत सारीं बिमारियों का रस बनता है और ॐ कार का जप करने से आरोग्य का रस पैदा होता है | भगवन नाम कीर्तन से आरोग्य का रस पैदा होता है | गोविन्द हरे, गोपाल हरे जय-जय प्रभु दिन दयाल हरे | सुख धाम हरे, आत्म राम हरे, जय-जय.......गोविन्द हरे ...... |
बरसाना में संत रहते थे | वो गोविन्द मंदिर में दर्शन करने गए | विराट उत्सव था | वैष्णु बाबा ने कहा उनको प्रसाद ग्रहण करो | बाबा ने आना-कानी की | लेकिन वैष्णु बाबा ने बताया के ठाकुरजी का प्रसाद है, क्यों आना-कानी करते हो ? प्रसाद तो ले लिया लेकिन दूसरे दिन वृदावनदास महाराज माला जपने बैठे तो माला होए नही | अंगूठा सुन्न हो गया | दाये हाथ का अंगूठा माला में जिसकी जरूरत होती है, काम ही नही करे | किसी संत के पास गए | उस संत का नाम था मनोहरदास बाबा | मनोहरदास बाबा ने कहा के तुमने कल भोजन कहाँ किया था | बोले वृन्दावनदास बरसाना वाले गोविन्द मंदिर में | बोले जाँच करो के उस मंदिर में जो उत्सव हुआ किसका धन लगा था | पता चला वैश्या का धन लगा था | बोले उस वैश्या के धन से बना भंडारा आपका अंगूठा जड़ीभूत हो गया | अब इसका एक ही उपाय है | ३ दिन तक परिक्रमा करो भीजे कपड़े और भगवान का नाम जपो | वो किया और ३ दिन बाद वो अन्न की अशुद्धि चली और अंगूठा फिर से जप के काम आया |
शास्त्रों में ऐसी-ऐसी घटना सुनाई पडती है की साधक फिसलने से बचता है | प्रहलाद के पुत्र का नाम था विलोचन और ब्रहस्पति के पुत्र का नाम था कच्छ | प्रहलाद न्याय करने में बड़े सुप्रसिद्ध थे | न्यायशीलता प्रहलाद की ऐसी गजब की थी की दैत्य पुत्र विरोधी थे | दैत्य पुत्र विरोचन के सामने कच्छ देवतओं के गुरु का पुत्र | दोनों केशिमी नाम की सुकन्या पर मोहित हो गए थे | सुकन्या ने कहा तुम दोनों में जो श्रेष्ठ हो, मैं उसी को वरण करना चाहती हूँ | आपकी श्रेष्ठता साबित करो | तो देवतओं के गुरु ब्रहस्पति जी, उनका बेटा कच्छ कहता है, की विलोचन तुम्हारे पिता के पास ही चलते हैं | तुम मेरे हरीफ हो और न्याय तुम्हारे पिता करेंगे क्योंकी प्रहलादजी न्यायमूर्ति हैं वास्तव में | प्रहलाद ने न्याय किया कि श्रेष्ठता में विलोचन दैत्य पुत्र है और कच्छ देवतओं के गुरु का पुत्र है, तो कच्छ की श्रेष्ठता तो सिद्ध है | उसमें शर्त थी की जो जीतेगा वो केशिमी को वरेगा और जो हारेगा उसका सिर कटाया जायेगा | तो प्रहलाद ने विलोचन का हाथ पकड़ा कच्छ के चरणों में गिरा दिया | बोले ये तुम्हारे को हमने सौप दिया | अब इसका सिर पहले काटो, पैर काटो ये तुम्हारी अमानत है | ये हार गया है मेरा बेटा और तुम जीत गए हो | और कच्छ की खानदानी देखो | बोले अब न्याय करने वाले के बेटे का मैं सिर कटवाता हूँ, तो दुबारा कौन जज ऐसा न्याय करेगा | जिसका पिता इतना न्याय प्रिय है उसके बेटे का सिर मैं क्यों काटू | ये आपकी न्याय प्रियता का महत्व दुनिया जाने इसलिए मैं विलोचन को प्राण दंड नही देना चाहूँगा | श्रेष्ठ पिता का पुत्र है | तुम भी श्रेष्ठ पिता के पुत्र हो | बोले ये आपका न्याय कहता है | लेकिन मेरा हृदय कहता है की आप भी श्रेष्ठ हो | आशीर्वाद नही मांगे तो भी प्रहलाद का हृदय आशीर्वाद बरसाए बिना नही रहेगा | और हम लोग प्रहलाद को धन्यवाद ना भी दें फिर भी हमारा अंतर आत्मा जो ज्ञान स्वरूप है, वो जरूर उधर झुकता है |
आपका मन कहता है, के सिगरेट पीना अच्छा नही वहाँ आपका विवेक है | दूसरी तरफ आपकी वासना कहती है के जरा २ फूँक मार लूँ | तो वासना और विवेक दोनों के पीछे ज्ञान सत्ता है | अब आप वासना को महत्व देते हैं, तो सिगरेट की बुराइयाँ जानने के बाद भी आप सिगरेट फुंकोगे | लेकिन आप ज्ञान सत्ता को महत्व देते हो तो फाड के फेंक दोगे |
वासना कहती है के जरा झूठ-कपट, जरा हेरा-फेरी से पैसे मिलेंगे | अभी ड्यूटी है कल किसने देखा | और अच्छाई बोलती है ये हराम का पैसा छोरो की बुद्धि हराम करेगा, अपनी बुद्धि हराम करेगा | क्या करना है | फिर वासना कहेगी चलो १० परसेंट दान करेंगे | अब आप वासना को सहयोग करोगे तो वही करोगे जो वासना कहेगी | तो वासना के पीछे भी ज्ञान है | और विवेक के पीछे भी ज्ञान है | ज्ञान ज्यों का त्यों रहता है | परमात्मा सबका है | हारती है तो वासना और जीतती है तो विवेक शक्ति | विवेक और वासना के बीच जंग चलती रहती है |
जब वासना के प्रभाव में आकर आप निर्णय लेते है और कर्म करते हैं तो तुच्छ जीवन हो जाता है | और विवेक के प्रभाव में करते है तो दिव्य जीवन हो जाता है | और विवेक कमजोर पड़ता है और वासना बली पडती है तो हे प्रभु, हे दयालु, लम्बा श्वास लिया तो वासना को छोडके दिव्य जीवन की तरफ चलो | और वासना ने तुम को दबाया तो आप तुच्छ जीवन की ओर चले | फिसलना अधिक है के वासना से बचना अधिक है | अगर वासना को फिसलाने में अधिकता है तो आप महापुरुष बनने की ओर हो ओर अगर वासना में फिसलने की अधिकता है तो आप तुच्छ जीवन की ओर हो, नीच योनी की तरफ जा रहे हो | ये रुपय, पैसे, धन, सौंदर्य यहीं पड़ा रह जायेगा | इसलिए हिम्मत करके वासना पर विजय पानी चाहिए | दिव्य जीवन हो हमारा | वासना विकारों में गिराने वाली है | लेकिन आत्मा परमात्मा नित्य है, शुद्ध-बुद्ध है | वासना के भोग के बाद फिर आदमी शक्ति-हीनता, आधीनता, जड़ता ले आता है | प्रभु को पुकारे | ॐ अर्यमायै नम: मंत्र जपे | इससे काम विकार पर विजय होता है | और बिमारियों पर भी विजय पाने का मंत्र है | ऐसे ही लोभ पर भी नियंत्रण पाने का भी विवेक है | जो लोभ, कम, क्रोध, मोह पर विजय पाते हैं वे विवेक सम्पन होंगे और आत्मा-परमात्मा तक जाते हैं | भगवान सत रूप हो, चेतन रूप हो, आनंद रूप हो, वासनएँ हमको आपसे दूर करती हैं | लेकिन आपकी कृपा से मेरा विवेक सजाग रहे | जैसे बच्चे को कोई मुसीबत होती है तो माँ, माँ, ....ऐसे ही हरि, हरि, प्रभु, ॐ, ...., नारायण......तो भगवान रक्षा भी करते हैं |