Admin / Tuesday, May 9, 2017 / Categories: PA-000439-Self-realization परमात्मप्राप्ति में नियमो का पालन जरुरी है कि सिर्फ परमात्मा के प्रति तड़प बढ़ाने से ही परमात्मप्राप्ति हो सकती है पूज्य बापूजी :- परमात्मप्राप्ति के लिए नियम बनाएंगे तभी तड़प होगी, तड़प होगी तभी मिलेंगे। परमात्मप्राप्ति की तड़प है और जैसा तैसा खाया, मासिक धर्म वाली स्त्री के हाथ का बनाया हुआ खाया, फिल्में देखी, जो मन में आया वो कर लिया तो यह बेवकूफी की बात है। जितना आहार-व्यवहार शुद्ध होगा उतनी उन्नति होगी। परमात्मप्राप्ति के उद्देश्य वाले और किसी चीज को महत्त्व नही देते। Previous Article पूज्य बापूजी ! ईश्वरप्राप्ति हमारा लक्ष्य है लेकिन व्यवहार में हम भूल जाते है और भटक जाते है। कृपया व्यवहार में भी अपने लक्ष्य को सदैव याद रखने की युक्ति बताये। Print 49378 Rate this article: 3.8 Please login or register to post comments.
परमात्मप्राप्ति में नियमो का पालन जरुरी है कि सिर्फ परमात्मा के प्रति तड़प बढ़ाने से ही परमात्मप्राप्ति हो सकती है परमात्मप्राप्ति में नियमो का पालन जरुरी है कि सिर्फ परमात्मा के प्रति तड़प बढ़ाने से ही परमात्मप्राप्ति हो सकती है
पूज्य बापूजी ! ईश्वरप्राप्ति हमारा लक्ष्य है लेकिन व्यवहार में हम भूल जाते है और भटक जाते है। कृपया व्यवहार में भी अपने लक्ष्य को सदैव याद रखने की युक्ति बताये। पूज्य बापूजी ! ईश्वरप्राप्ति हमारा लक्ष्य है लेकिन व्यवहार में हम भूल जाते है और भटक जाते है। कृपया व्यवहार में भी अपने लक्ष्य को सदैव याद रखने की युक्ति बताये।
हरि ॐ ! मन एक होते हुए भी बुद्धि,चित्, अहंकार किस प्रकार होते हैं ,कायके लिए होता है ? हरि ॐ ! मन एक होते हुए भी बुद्धि,चित्, अहंकार किस प्रकार होते हैं ,कायके लिए होता है ?
जगत है ही नहीँ, उसका अनुभव आत्मा को होता है या अहंकार को होता है ? जगत है ही नहीँ, उसका अनुभव आत्मा को होता है या अहंकार को होता है ?
माया का स्वरुप क्या है और माया से कैसे बचना चाहिए ? माया का स्वरुप क्या है और माया से कैसे बचना चाहिए ?